Editor in Chief: Rajesh Patel (Aapka news Star)
पन्ना: अक्टूबर 17, 2025
Panna-MP: शासकीय भूमि दर्ज करने के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी...
पन्ना: कलेक्टर न्यायालय द्वारा प्रकरण क्रमांक 0028/अ-21/24-25 में भूमि को शासकीय दर्ज करने के संबंध में कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इस संबंध में कलेक्टर ऊषा परमार ने अनावेदिका आरती चौरसिया पति रामऔतार चौरसिया निवासी ओरछा रोड थाना के पास, नौगांव रोड छतरपुर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही अपना पक्ष प्रस्तुत करने, उत्तर देने तथा अपनी प्रतिरक्षा के लिए निर्भर रहने संबंधी सभी दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए आगामी 27 अक्टूबर को सुबह 11 बजे कलेक्टर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने हेतु समन किया गया है। नियत तिथि पर न्यायालय में उपस्थित न होने की स्थिति में मामले की सुनवाई और निपटारा किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि आवेदक श्रीकांत दीक्षित पुत्र स्व. भास्कर दीक्षित निवासी टिकुरिया मोहल्ला तहसील एवं जिला पन्ना द्वारा आवेदन प्रस्तुत कर लेख किया गया है कि मनौर स्थित सर्वे नंबर 159/1/9 रकवा 2.00 हे. भूमि बगैर किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के अनावेदक क्रमांक 3 के नाम शासकीय पट्टेदार के रूप में राजस्व अभिलेख में वर्ष 1982-83 से 1988-89 तक अवैध दर्ज रही है तथा वर्ष 1988-89 के खसरे में तहसीलदार पन्ना के पंजी क्रमांक 06 दिनांक 18.08.1989 के अनुसार शासकीय पट्टेदार के स्थान पर भूमि स्वामी स्वत्व दर्ज करने का आदेश हुआ है, लेकिन पंजी की सत्यापित प्रति अभिलेखागार में जमा नहीं है। अनावेदक क्रमांक 3 (फौत) द्वारा जिला कलेक्टर की अनुमति बगैर अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के पक्ष में 21.02.1991 को विक्रय पत्र निष्पादित कराया गया।
प्रश्नाधीन भूमि को म.प्र. शासन दर्ज किए जाने के अनुरोध पर आवेदन पत्र के साथ संलग्न राजस्व अभिलेखों का अवलोकन करने से प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि खसरा पंचशाला वर्ष 1982-83 से 1986-87 के वर्ष 1982-83 में अनावेदिका के पिता स्व. बच्चीलाल चौरसिया शासकीय पट्टेदार दर्ज हुई हैं। यह प्रविष्टि फर्जी प्रतीत होती है और यदि अनावेदिका के पिता को भूमि प्रश्नाधीन आराजी बंटन में प्राप्त हुई है, तो सक्षम बंटन अधिकारी का आदेश व आवंटित भूमि को विक्रय करने के पूर्व म.प्र. भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165(7-ख) के तहत प्राप्त भूमि विक्रय के अनुमति आदेश का विवरण विक्रय पत्र 21 फरवरी 1991 में किया जाना आवश्यक था, जबकि विक्रय पत्र में यह लेख है कि म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 का उल्लंघन नहीं होता है। इस संबंध में नोटिस जारी कर पूछा गया है कि क्यों न प्रश्नाधीन भूमि फर्जी प्रविष्टि से प्राप्त होने अथवा म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165(7-ख) के उल्लंघन पर भूमि को म.प्र. शासन दर्ज किया जाए।
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