मध्य प्रदेश: दिसम्बर 18, 2025
पत्रकार: राजकुमार प्रजापति (अजयगढ़)
कृषि सखियों ने सीखी जीवामृत बनाने की विधि ।
ब्यूर.पन्ना।राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र पन्ना में आयोजित कृषि सखियों के पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का दूसरा दिन संपन्न हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कृषि सखियों को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करना और मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार करना है। शिविर के दौरान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. पी.एन. त्रिपाठी ने मृदा में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाने हेतु जीवामृत और घन जीवामृत इस्तेमाल करने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कृषि सखियों को जीवामृत बनाना सिखाया। साथ ही इसके प्रयोग करने के तरीके भी विस्तारपूर्वक साझा किए। परियोजना संचालक आत्मा ए.पी. सुमन ने कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों को कृषकों के प्रक्षेत्र पर उतारने के लिए संबोधित किया। नोडल अधिकारी डॉ. रितेश कुमार जायसवाल ने प्राकृतिक खेती के प्रमुख घटकों, बीजामृत, जीवामृत एवं घनजीवामृत, आच्छादन, वाप्सा और फसल विविधीकरण पर विस्तृत प्रकाश डाला। उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ. एन. के. गुप्ता ने उन्नत पशुपालन के तीन मंत्र संतुलित पोषण, समय पर टीकाकरण और कृत्रिम गर्भाधान की जानकारी साझा की। उन्होंने दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान और कृमिनाशक दवाइयों के महत्व को भी बताया। जिला प्रबंधक आजीविका मिशन प्रमोद शुक्ला ने मृदा परीक्षण, प्रमाणित बीजों के उपयोग और उन्नत सिंचाई तकनीकों की जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जयचंद लोधी, वैज्ञानिक डॉ. रणविजय प्रताप सिंह, रितेश बागोरा, देशराज प्रजापति एवं कृषि सखियां उपस्थित रहीं।
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