Editor in Chief: Rajesh Patel (Aapka news Star)
छतरपुर, Feb 18, 2025
खजुराहो नृत्य समारोह में हो सकता है खजुराहो में पांचों लोकांचलों के घरों का लोकार्पण
मालवा, निमाड़, बघेलखंड, बुंदेलखंड और चंबल की अनूठी संस्कृति, रहन-सहन और लोक परंपराओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करेंगे। यह आवास आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय परिसर में निर्मित किए गए हैं
छतरपुर. मध्य प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से खजुराहो में पांच लोकांचलों के पारंपरिक आवास बनाए गए हैं, जो मालवा, निमाड़, बघेलखंड, बुंदेलखंड और चंबल की अनूठी संस्कृति, रहन-सहन और लोक परंपराओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करेंगे। यह आवास आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय परिसर में निर्मित किए गए हैं, जिनका लोकार्पण आगामी खजुराहो नृत्य समारोह (20 फरवरी से प्रारंभ) के दौरान किया जा सकता है।
इन पारंपरिक आवासों को मध्य प्रदेश के पांच प्रमुख सांस्कृतिक क्षेत्रों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है। प्रत्येक आवास में उस क्षेत्र की विशिष्ट वास्तुकला, वेशभूषा, लोक देवी-देवताओं और दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
मालवा- यहां के घरों में तेजाजी की पूजा और उनकी कथा के चित्रण को प्रमुखता दी गई है।
निमाड़- भीलट देव के स्थल को उनके पारंपरिक अनुष्ठान और वस्त्रों के साथ दर्शाया गया है।
बघेलखंड- बसामन मामा की पौराणिक कथाओं के साथ बघेलखंड की विशिष्ट जीवनशैली को प्रदर्शित किया गया है।
बुंदेलखंड- हरदौल की वीर गाथाओं को बुंदेली शैली के घरों में उकेरा गया है।
चंबल- कारसदेव की पूजा पद्धति को चंबल क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर के साथ जोड़ा गया है
यह सांस्कृतिक गांव आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय के परिसर में बनाया गया है, जहां पहले से ही गोंड, बैगा, भील, भारिया, कोरकू, कोल और सहरिया जनजातियों के पारंपरिक आवास और दैनिक उपयोग की वस्तुएं प्रदर्शित हैं। इनमें सांप-बिच्छू की मूर्तियां, चौखट, खेत की मेड़, धान कूटने वाली ढेकी, चक्की, सिलबट्टा जैसी वस्तुएं शामिल हैं, जो उन जनजातियों की कला और संस्कृति का सजीव अनुभव कराती हैं।
इस परिसर में देश का पहला गुरुकुल भी स्थापित किया जा रहा है, जहां भारतीय परंपरा और संस्कारों के अनुरूप शिक्षा दी जाएगी। यह गुरुकुल संस्कृति विभाग और आदिवर्त जनजातीय लोक राज्य कला संग्रहालय की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जो वर्तमान में निर्माणाधीन है। संग्रहालय के प्रभारी अशोक मिश्रा ने बताया हमारा उद्देश्य खजुराहो आने वाले पर्यटकों को मध्य प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और जनजातियों की जीवनशैली को एक ही परिसर में समझने का अवसर देना है। यहाँ आने वाले हर पर्यटक को राज्य की विविध सांस्कृतिक धरोहरों को नजदीक से जानने का अवसर मिलेगा।
20 फरवरी से शुरू हो रहे खजुराहो नृत्य समारोह के दौरान इन पांचों लोकांचलों के घरों का भव्य लोकार्पण किया जा सकता है। इस समारोह में देश-विदेश के पर्यटक, सांस्कृतिक प्रेमी और कला साधक शामिल होंगे, जो मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता को देख और समझ सकेंगे। इस पहल से न केवल खजुराहो के पर्यटन को नई ऊंचाइयां मिलेंगी, बल्कि मध्य प्रदेश की लोक संस्कृति, कला और जनजातीय परंपराओं को अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी। यह संग्रहालय परिसर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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